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हर हमेशा याद आती आपकी / कैलाश झा 'किंकर'
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हर हमेशा याद आती आपकी
भा चुकीं आँखें सवाली आपकी।
लोग तो ख़ुद को बदलते ही गये
है कहीं भी तो न सानी आपकी।
ग़म के आँसू में भिंगी तन्हाइयाँ
मिट सकेगी कब जुदाई आपकी।
हर नया रिश्ता पुराना हो रहा
है ग़जब की आशनाई आपकी।
दोस्ती में है भरोसा दोस्त का
बन रही सम्बल है पाती आपकी।
दूर रहकर भी मुहब्बत पल रही
दे रही आँखें गवाही आपकी।