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उतार चश्मा निहार दुनिया / कैलाश झा 'किंकर'

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उतार चश्मा निहार दुनिया।
सभी से करती है प्यार दुनिया॥

ज़रा इशारे पर ध्यान रखना
नहीं है गर्दो-गुबार दुनिया।

बची है आशा जहाँ कहीं भी
वहाँ पर लाती बहार दुनिया।

मिटा के नफ़रत गले मिलोगे
तभी सकोगे सँवार दुनिया।

जहाँ मुहब्बत है खिलखिलाती
वहाँ पर जन्नत उतार दुनिया।

हँसो हँसो फिर हँसाने आओ
रही है "किंकर" पुकार दुनिया।