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कश्मीर / आग़ा शाहिद अली / अनिल जनविजय
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अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:05, 21 जुलाई 2020 का अवतरण
हाँ, यही वह ख़ूबसूरत ज़मीं है,
जहाँ आप आए है ।
अब धीरे से खोलें दरवाज़ा ।
आप पाएँगे
कि आपने बदल दिया है माहौल ।
क्या नक़्क़ाशी है यहाँ !
क्या डिजाईन है !
कैसे बेल-बूटे हैं ख़ूबसूरत !
जिन्हें आप बदल सकते हैं
अपने मन से ।
अपने दरवाज़े पर खड़ा
कश्मीर आपका इन्तज़ार कर रहा है,
मेहमाननवाज़ी हमारी ख़ासियत है ...।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय