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जादूगरों के देश में / अरुणाभ सौरभ

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दूर तक पसरा है
अकाल और
भूखमरी का साम्राज्य
और मिरमिराए मेमने सा किसान

युद्धभूमि में
बजती रणभेरी
तूर्यनाद अहर्निश
वज्रशक्ति का स्वामी
अभिमान के नशे में धुत्त
आततायी सत्ता से और प्रचण्ड होकर
निरन्तर फेंक रहा
घोषणाओं का पुलिन्दा
मलोमाल हो जाने की उम्मीद में
भीड़ जनता की कतार बनकर रेंग रही

खलिहान के भूसे
खलिहान से निकलकर हमारे मन, बुद्धि, विवेक
पर काबिज़
ताकि आसानी से पकड़ ले आग
दिमाग में पड़े भूसे में

इधर
मायाजाल
इन्द्रजाल
फैलाकर
और मारण-मोहन-उच्चाट्टन से
हमें वश में कर ले
कोई सत्ता का जादूगर
और मिरमिराए मेमने सा किसान
बलि के लिए तैयार
या आत्महत्या के लिए
जादूगरों के देश में ....