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एरोप्लेन / कमलेश द्विवेदी
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कितना सुन्दर एरोप्लेन।
उड़ता सर-सर एरोप्लेन।
कार-रेल-बस अच्छे पर,
सबसे बढ़कर एरोप्लेन।
आसमान में पंछी सा,
दिखता अक्सर एरोप्लेन।
कितनी दूर-दूर जाता,
सबको लेकर एरोप्लेन।
पापा जी क्या-क्या लाये-
गुड़िया-बन्दर-एरोप्लेन।
रोज चलाऊँ कमरे में,
चाबी भरकर एरोप्लेन।
खूब उड़ाता काग़ज़ का,
अपनी छत पर एरोप्लेन।
मन करता-नभ तक जाऊँ,
मैं भी चढ़कर एरोप्लेन।