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युगपत समीकरण में / परिचय दास

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हम जेतनी बेर तोहरी ओर देखलीं
लागल, अउर पवित्र हो रहल हईं अंतर्मन से
खीचेलीं तोहार आँख
हमरा विकलता के मीठ मर्म के
 पृथ्वीमय हो जालीं हमार सांस
ऋतुअन के विविध रंगन से रचल बसल
तोहरे सँसियन के युगपत समीकरण में।

अकास घूमेला हमरा हृदय में बदरन के रंग-संग
भीज जाइलां रस से, जल से
आप्लावित होईलां तोहरी रूपाकृति में
निमज्जित करीलां स्वयं के
एक अबूझ भाषा में
एक चिर अवगाहन: भाषा क शब्द में
ई अबूझ रूप!