भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अब तो है पेड़ लगाना / सुरेश कुमार मिश्रा 'उरतृप्त'
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:16, 3 अगस्त 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुरेश कुमार मिश्रा 'उरतृप्त' |अनु...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
आओ बच्चों मिलकर गाएँ
धरती पर हरियाली छाए
आज यही गीत है सुनाना
अब तो है पेड़ लगाना।
गली-गली में पेड़ लगाएँ
पर्यावरण स्वच्छ बनाएंँ
हरा-भरा है देश बनाना
अब तो है पेड़ लगाना।
बरखा शीत बसंत हो चाहे
मौसम सारे झूम कर आएँ
ऐसा है माहौल बनाना
अब तो है पेड़ लगाना।
कल-कल करती नदियाँ गाएँ
सोना-चांदी फसलें उगाएँ
सबसे सुंदर है देश बनाना
अब तो है पेड़ लगाना।