भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
डरे हो बचाते कहाँ जाइएगा? / सूर्यपाल सिंह
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:21, 11 अगस्त 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सूर्यपाल सिंह |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
डरे हो बचाते कहाँ जाइएगा?
नए प्रष्न आते कहाँ जाइएगा?
तुम्हारे क़दम पर सभी की निगाहें,
निगाहें उठाते कहाँ जाइएगा?
अभी सागरों का क़हर सामने है,
सुनामी सधाते कहाँ जाइएगा?
गिनें वे गुनह में सभी इन सवालों,
गुनहगार पाते कहाँ जाइएगा?
उठाना यहाँ प्रष्न दुनिया बनाने,
नहीं यदि बनाते कहाँ जाइएगा?