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खुद के लिए / सुरेश बरनवाल
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चाहता हूँ
जमीन दे सकूं
अपने सपनों को
आसमां तो सभी देते हैं।
दुआएँ दूं
खुद को
खुश रहूँ, मुस्कराऊँ
दूसरों को अपने साथ लेकर।
नदियों से कहूँ
मेरे आंगन में बहो
और हर प्यासे मन का घर
मेरे आंगन में हो।
खुदा को
मंदिर / मस्जिद से उठाकर
उसकी खुदाई छिन लूं
सभी में बराबर बांट दूं।
सबके मन में
अपने लिए प्यार बांटूं
वह प्यार जो सबके लिए
मेरे मन में है।
और तुम ही बताओ
क्या मांगू ख़ुद के लिए
जिसमें तुम्हारा हिस्सा
मेरे हिस्से से अधिक हो।