भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गीत / ज्याक प्रिभेर / सुमन पोखरेल

Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:13, 20 अगस्त 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ज़ाक प्रेवेर |अनुवादक=सुमन पोखरे...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हामी कुन दिन हौँ?
प्रत्येक दिन हौँ हामी।
साथी,
हामी सम्पूर्ण जीवन हौँ।

प्रेम गर्छौँ र बाँच्छौँ हामी, प्रिय
बाँच्छौँ र प्रेम गर्छौँ हामी।

तर हामीलाई थाह छैन, जीवन के हो
हामीलाई थाह छैन दिन के हो
र थाह छैन हामीलाई
प्रेम के हो।