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पेड़ और कविता / रंजना मिश्र

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पेड़ों पर लिखी जानेवाली सारी कविताएँ
इंसानों ने लिखी
जानवर कविता कहाँ करते हैं!
पेड़ों पर लिखी जानेवाली अधिकतर कविताएँ
काग़ज़ों पर लिखी गईं
उसे सुंदर बनाने की कोशिश में
खूब सारे अक्षर लिखे, काटे और मिटाए गए
शब्दों से भरे वे काग़ज़ कवि के कमरे की शोभा बने
अक्सर वे कविताएँ मेज़ और कुर्सी पर बैठकर लिखी गईं
कई कविताओं में अलग अलग तरीके से पेड़ों के प्रति प्रेम का वर्णन था
प्रेम कविताओं की नायिकाएँ
अक्सर पेड़ की छाँव में अपने प्रेमियों का इंतज़ार करतीं
पेड़ों को इसका पता था
वे नायिकाओं की प्रतीक्षा के साक्षी बनते रहे
सदियों तक
इस बीच उन्होने कोई कविता नही रची
बस साथ दिया प्रेमिकाओं और कवियों का
तब तक

जबतक उन्हें काटकर
काग़ज़ या मेज़ में तब्दील न कर दिया गया.