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ऊपर-ऊपर / अष्टभुजा शुक्ल
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ऊपर-ऊपर
जिसने भी देखा
हर वक़्त
हरा ही दिखा मैं
समूल उखाड़ने पर ही
समझ सके लोग
कि भीतर गहरे तक
मुझ में मूली जैसी सफ़ेदी थी
या गाज़र जैसी लाली।