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बादलों ने जात दिखलाई / सर्वेश अस्थाना
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बादलों ने जात दिखलाई!
राजनीतिक सोच वाली धुन्ध से निर्मित,
आसमानी ही उड़ानों को करे चित्रित।
किन्तु दावे खोखले हैं नहीं जल कण,
इन फरेबों से धरा है कसमसाई।।
बादलों ने जात दिखलाई!
सिर्फ आश्वासन सरीखे हैंउमड़ते,
और वादे खोखले करके घुमड़ते,
ये धरा जनता सरीखी मुँह को बाये
किन्तु घन ने खेप सागर पर लुटाई।
बादलों ने जात दिखलाई!
हो चुके हैं बंजरी अरमान सारे
आग के गोले हुए दिनमान सारे
फेर कर मुँह उड़ गए हैं राम जाने
मर गयी उम्मीद जो भी कुनमुनाई।।
बादलों ने जात दिखलाई।।
बादलों ने जात दिखलाई।।