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बरसा पानी / प्रभुदयाल श्रीवास्तव

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बरसा पानी छमा-छम,
कड़की बिजली ढमा-ढम।
कमरे में बौछार घुसी,
आंगन में बह गई नदी।
बादल हैं काले पीले,
कपडे सभी हुए गीले।
पानी में मैं घूमा ख़ूब।
मैं तो ढूँढ रहा था धूप।
धूप मुझे न मिल पाई।
सर्दी सि र पर चढ़ आई।
मम्मी ने जब विक्स मला
तब मैं चंगा हुआ भला