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मुन्नी ने फूल गिने / प्रभुदयाल श्रीवास्तव

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किरणों के गमछे से,
सबके सब पुँछने हैं।
सूरज पर कोहरे के,
दाग लगे जितने हैं।
मंद पवन चलना है,
पतझड़ भी होना है।
गेहूँ की बाली को,
बन जाना सोना है।
सूख गए पापड़ से,
पत्ते जो चिकने थे।
आमों की डालों पर,
बौर महक जाना है।
धरती को तीसी के,
रंग में रंग जाना है
मुन्नी ने नीले ये,
फूल गिने कितने थे।