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स्वागतम् उत्तरायण सूर्य हे / शार्दुला नोगजा

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खिलते हैं सखि वन में टेसू
फागुन भी अब आता होगा
धरती ओढ़े लाल चुनरिया
गीत गगन मृदु गाता होगा।

पगड़ी बाँधे अरुण पात की
वृक्ष खड़े हैं श्रद्धानत हो
स्वागतम् उत्तरायण सूर्य हे!
रश्मि रोली, मेघ अक्षत लो।

हरित पहाड़ों की पगडंडी
रवि दर्शन को दौड़ी आये
चित्रलिखित सा खड़ा चन्द्रमा
इस पथ जाये, उस पथ जाये?

आज क्लांत मत रह तू मनवा
तू भी धवल वस्त्र धारण कर
स्वयं प्रकृति से जुड़ जा तू भी
सकल भाव तेरे चारण भर!

स्वागतम् उत्तरायण सूर्य हे!