भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
किस काम की ख़ातिर है ये फ़ानी दुनिया / रमेश तन्हा
Kavita Kosh से
Abhishek Amber (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:46, 7 सितम्बर 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश तन्हा |अनुवादक= |संग्रह=तीसर...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
किस काम की ख़ातिर है ये फ़ानी दुनिया
कुछ भी तो नहीं है आनी जानी दुनिया
बस बैठ के सिर्फ इसका तमाशा देखो
है भागते सायों की कहानी दुनिया।