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नजर लगे ना / सुरेश विमल
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नजर लगे ना फूलों को माँ
इन्हें लगा दो ज़रा डिठौना।
हंसते हैं जो गेंदे तो माँ
लगते हैं सचमुच सोना
और गुलाबों का कहना क्या
महकाते कोना कोना।
सजा हुआ नन्हे फूलों से
लगे मोगरा बड़ा सलौना।
खिले चमेली औ जूही तो
मचले हाथ बनाने माला
लेकिन पास ना आने देता
भन भन करता भौंरा काला।
बना लिया है मधुमक्खी ने
छत्ता अपना रस का दौना।
दादी माँ ने ठाकुर जी की
पूजा को कुछ फूल मंगाए
समझ न आता किन्हें छोड़ दें
किन फूलों को तोड़ा जाए।
अपनी अपनी टहनी का है
सचमुच हर एक फूल खिलौना।