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आदमख़ोर / नाज़िम हिक़मत / अनिल जनविजय

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मेरी मेज़, मेरी टाईप मशीन और मेरा काग़ज़
मेरे कपड़े — सने हुए हैं सब ख़ून में

पुलों वाले वे नगर जहाँ-जहाँ मैं गया
और कमरे की दीवारें — रंगे हुए हैं सब ख़ून में

मैंने खोली छाती
और एक औरत के साथ हम खाते रहे दिल

पत्र लिखना मुझे और भेजना तार
फ़ोन करना और कहना मुझे
"आऊँगी, आऊँगी, आऊँगी !"
ऐ मौत, अक़्ल दे मुझे !

1960
रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय