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ये बस्ती बस्ती घरों के जंगल / मोहन निराश
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ये बस्ती बस्ती घरों के जंगल
अपने रहने को घर में जंगल
इस पत्थर के नभ के नीचे
उठते क्यों बाहों के जंगल
आत्म-दाह किया दुखदायी ने
कैसे शोक सहेगा जंगल
ख़बर बसन्त पूर्व ही फैली
शरद से पहले झड़ेगा जंगल
खोए झुरमुट से पेड़ सभी
कैसे त्रास सहेगा जंगल
मैं उछल हिरन सा चल दूँगा तो
होगा न सन्ताप, झड़ेगा जंगल