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विचार आते हैं / गजानन माधव मुक्तिबोध

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विचार आते हैं

लिखते समय नहीं

बोझ ढोते वक़्त पीठ पर

सिर पर उठाते समय भार

परिश्रम करते समय

चांद उगता है व

पानी में झलमलाने लगता है

हृदय के पानी में


विचार आते हैं

लिखते समय नहीं

...पत्थर ढोते वक़्त

पीठ पर उठाते वक़्त बोझ

साँप मारते समय पिछवाड़े

बच्चों की नेकर फचीटते वक़्त


पत्थर पहाड़ बन जाते हैं

नक्शे बनते हैं भौगोलिक

पीठ कच्छप बन जाती है

समय पृथ्वी बन जाता है...