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मातृभाषा / मनीषा जोषी / મનીષા જોષી

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बहुत सुकूनदायी होता होगा
अपनी मातृभाषा में
माँ-बहन की गालियाँ देना !
ख़ास करके तब
जब पिता व्यभिचारी हो
और भाई कामचोर ।

वे अनाथालय
जहाँ किया जाता है
बिन माँ की बालिकाओं पर बलात्कार
वहाँ आनन्द की चरम-सीमा में
पुकार उठता होगा वह बलात्कारी
कुछ शब्द
अपनी मातृभाषा में ।

मातृभाषा अब हो गई है इतनी सरल
कि लिखी जा सकें कविताएँ
मातृभाषा अब हो गई है इतनी अपनी
कि सोचे जा सकें नए-नए गुनाह ।

मातृभाषा में लिखी गई कविताएँ
अब किसी अनौरस सन्तान-सी
देख रही हैं दूर से
मातृभाषा में सोचे जा रहे अपराधों को ।