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छुन्नू के पापा जी / प्रकाश मनु

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छुन्नू के पापा जी आए,
छुन्नू की पापा जी!

सारे घर में उछल रहा है
छुन्नू आहा, आहा,
ये सब लाए, वो सब लाए
आहा, मेरे पापा!
थी पड़ोस में लाली
वो भी दौड़ी-दौड़ी आई,
देख खिलौने, अजब खिलौने
मन ही मन मुसकाई।
‘इतना सुंदर हाथी भैया
इतना सुंदर घोड़ा’,
घोड़े के संग हरे रंग का
आहा, बढ़िया कोड़ा!’
‘कोड़ा मारा घोड़ा दौड़ा’
देखो, देखो लाली!’
लाली बोली ‘इससे अच्छी
नन्ही कोयल काली!’

सचमुच अजब खिलौने लाए
छुन्नू के पापा जी,
छुन्नू के पापा जी आए
छुन्नू के पापा जी!

बंदर एक बड़ा शर्मीला
एक बड़ा सा शेर,
बकरी का एक छौना भी है
जो खाता है बेर।
परियाँ, बौने नाच नाचते
है प्यारा एक जोकर,
लंबी टोपी वाला जोकर
हँसता है हो-हो कर।

लाली बोली ‘इतने अच्छे
इतने गजब खिलौने,
मुझको दे दो सारी परियाँ
तुम ले लो ये बौने।
फिर खेलेंगे हम-तुम मिलकर
खूब मजा तब आए!’
दूर खड़े छुन्नू के पापा
मन ही मन मुसकाए।
बोले ‘हिलमिल खेलो दोनों
खेलो लारा-लप्पा
भूल गए, यह गेंद पड़ी है
खुद ही खाती टप्पा?’

खुश है छुन्नू, खुश है लाली
खुश हैं सभी खिलौने,
अजब खिलौने रंग-रंग के
हैं ये सभी सलोने।
इनको पंपापुर से लाए
छुन्नू के पापा जी?
छुन्नू के पापा जी आए
छुन्नू के पापा जी!