भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
टाफी जैसे दिन हों भाई / प्रकाश मनु
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:19, 6 अक्टूबर 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रकाश मनु |अनुवादक= |संग्रह=प्रक...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
टॉफी जैसे दिन हों भाई
लड्डू-पेड़े जैसी रातें,
परीलोक के मीठे किस्से
चिड़ियों जैसी प्यारी बातें।
तो भाई, यह दुनिया अपनी
एक कहानी जैसी होगी,
पापा होंगे जैसे राजा
मम्मी रानी जैसी होगी।