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जाग रहा है चौकीदार / प्रकाश मनु

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थककर सोई नन्ही छुटकी
सोया आँगन, सोया द्वार,
लेकिन अब भी गश्त लगता
जाग रहा है चौकीदार।

रात हुई तो पापा लेटे
आफिस में थी भारी खट-खट,
मम्मी के थे काम बहुत-से
निबटाकर वे सोईं झटपट।

मैं भी पढ़कर सो जाऊँगा
सपने में ही खो जाऊँगा,
लिए टॉर्च पर चौकन्ना-सा
जाग रहा है चौकीदार।

है शरीर भी बाँका, तगड़ा
चुस्त-छबीला है यह भाई,
झाँक न पाए आफत कोई
कसम एक बस, इसने खाई।

काला चोर भले ही आए,
आकर के इससे टकराए,
एक अकेला भिड़ जाएगा
आएँ चाहे शत्रु हजार।

कोई पैदल हो या गाड़ी
पहले पता लिखाओ भाई,
तभी खुलेगा गेट कि पहले
सही बात बतलाओ भाई।

सारी तहकीकात हुई है,
बात मगर अब साफ हुई है,
खुला गेट तो ग्रीन लाइट है,
पीं-पीं भीतर चल दी कार।

थककर सोई सारी दुनिया
सोया आँगन, सोया द्वार,
लेकिन अब भी गश्त लगता
जाग रहा है चौकीदार।