भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मत्स्यगंधा / कुलदीप कुमार

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:57, 6 अक्टूबर 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुलदीप कुमार |अनुवादक= |संग्रह=बि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हस्तिनापुर आज भी
मछली की तेज गंध में डूबा हुआ है।

लोग कहते हैं कि चाँदनी रात हो या अँधेरी
अक्सर मत्स्यगन्धा की आत्मा यहाँ डोलती है
और पूरे नगर पर तीखी बास की एक मोटी चादर
पड़ जाती है

लोक में प्रचलित हुआ कि सत्यवती वन में
अम्बिका और अम्बिालिका के साथ
मर गयी
पर मैं जीवित रही
क्योंकि मैं
हस्तिनापुर की राजमाता
हस्तिनापुर का ध्वंस देखने के लिए
तड़प रही थी

अब मेरी आत्मा तृप्त है

कौन है इस ध्वंस का उत्तरदायी?
द्रौपदी की दुर्योधन पर फ़ब्ती ?
कौरव राज्यसभा में द्रौपदी का चीरहरण?
युधिष्ठिर की जुए की लत?
दुर्योधन की ईर्ष्या?
मर्यादा का क्षरण?

नहीं

बहुत पहले ही
मर्यादा टूट चुकी थी और
सत्ता पर सवार हो चुके थे
निरंकुश वासना, अतृप्त लालसा, निर्वसन लोभ

ध्वंस के बीज तो तभी पड़ गये थे
जब
ऋषि पराशर ने मुझ नाव चलाने वाली पर
नदी के बीचोंबीच
बलात्कार किया था
अनाघ्रात पुष्प थी मैं
नवागत यौवन के झूले में झूलती हुई
इतनी भोली कि यह भी पता नहीं चला
मेरी देह के साथ क्या घटित हो रहा है
चीरहरण की सभी चर्चा करते हैं
मेरे कौमार्यहरण की कोई भी नहीं!

राजा शांतनु की दुर्दमनीय कामेच्छा
मेरे मल्लाह पिता का अपार लालच
भावी सम्राट का नाना बनकर
ऐश्वर्य भोगने की उसकी निर्लज्ज लालसा
देवव्रत का
कभी विवाह न करने और सिंहासन को त्यागने की
भीषण प्रतिज्ञा लेकर
भीष्म के रूप में लोकोत्तर पुरुष बनना
और फिर
परिणाम की सोचे बिना
उस पर हठपूर्वक जमे रहना

लोक में
बस इसी की चर्चा है

क्या कभी किसी ने सोचा
कि
उस बूढ़े राजा से मेरे विवाह के लिए
मेरी सहमति आवश्यक नहीं थी क्या?
किसी भी स्त्री की सहमति क्या
कभी आवश्यक समझी गयी है?

देवव्रत ने विवाह न करने का हठ
नहीं छोड़ा
लेकिन बलपूर्वक अनेक विवाह कराये
विचित्रवीर्य के लिए काशिनरेश की तीन कन्याओं का अपहरण किया
अम्बा का जीवन नष्ट किया
और अम्बिका और अम्बालिका को ज़बरदस्ती विचित्रवीर्य और चित्रांगद के साथ विवाह के बन्धन में बाँधा

अगर यह न हुआ होता
और अम्बा ने फिर से जन्म लेकर
भीष्म और उसके कुल के नाश की प्रतिज्ञा न की होती
तो क्या यह महायुद्ध होता?
और मैं?

क्या हर सास की तरह
मैंने भी प्रतिहिंसा में
अपनी बहुओं के साथ वही नहीं किया
जो मेरे साथ हुआ था?
नियोग के बहाने अपने पहले पुत्र कृष्ण द्वैपायन से
क्या मैंने अम्बिका और अम्बालिका पर
बलात्कार नहीं करवाया?
इस अन्धे, विवेकहीन और रुग्ण कृत्य के फलस्वरूप यदि
दृष्टिहीन धृतराष्ट्र और रोगी पाण्डु पैदा न होते
तो और क्या पैदा होता?

अन्धे धृतराष्ट्र के लिए भीष्म गान्धारी
और रोगी पाण्डु के लिए
पृथा एवं माद्री लाये

कैसा लगा होगा गान्धारी को
विचित्रवीर्य के अन्धे पुत्र से सौ-सौ पुत्र पैदा करते हुए?
क्या अपनी आँखों पर पट्टी
उसने इसलिए नहीं बाँधी थी
ताकि वह पूरे संसार को दिखा सके
वह अदृश्य पट्टी
जो हम सबकी आँखों पर बँधी थी?

और
क्या चार पुरुषों के साथ सहवास करके
कर्ण, युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन को जन्म देने वाली कुन्ती ने
सास वाला बदला लेने के लिए ही
द्रौपदी को
पाँचों पाण्डवों की पत्नी नहीं बनाया?
क्या माद्री को उसने इसलिए वह मन्त्र नहीं दिया ताकि वही सती-सावित्री क्यों बनी रहे?

वरना नियोग के द्वारा तो
केवल एक पुत्र की प्राप्ति ही अभीष्ट होती है

न किसी ने मेरी सहमति ली थी,
न अम्बालिका और अम्बिका की
न पृथा और माद्री की
और न ही द्रौपदी की

और यह स्वयंवर का ढकोसला!

स्वयंवर क्या वास्तव में स्वयंवर है?
क्या द्रौपदी ने कामना की थी कि वह
उसी से विवाह करेगी
जो घूमती हुई मछली की आँख


बाण से बींधेगा?
नहीं
यह शर्त उसके पिता ने निर्धारित की थी
फिर स्वयंवर में
द्रौपदी का 'स्वयं' कहाँ था?
क्या महाभारत युद्ध के मूल में
बलात्कार नहीं है?
क्या देवव्रत ने अपनी प्रतिज्ञा की
मूल भावना के साथ बलात्कार नहीं किया था?

तब तो मेरे पिता की ज़िद भी शेष नहीं रही थी
अगर वह विचित्रवीर्य की मृत्यु के बाद विवाह कर लेता
तो अनेक अन्य
बलात्कार होने से बच जाते
और तब सम्भवतः
यह महाविनाश भी न होता
और वह भी
हस्तिनापुर के राज्य का एकमात्र
वास्तविक उत्तराधिकारी होने के बावजूद
दुर्योधन के सिंहासन का पाया बनने की
ज़िल्लत ढोने से बच जाता

मैं मत्स्यगन्धा सत्यवती
भुजा उठाकर कहती हूँ
जहाँ ज़बरदस्ती की जायेगी
जहाँ बलात्कार होगा
उस राज्य का नाश अवश्यम्भावी है