भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अप्पू / प्रकाश मनु
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:31, 6 अक्टूबर 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रकाश मनु |अनुवादक= |संग्रह=चुनम...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
एक दिन नन्हा, नटखट अप्पू
चुनमुन के घर आया,
बोला एक आइडिया चुनमुन
मेरे मन में आया।
जमकर करूँ पढ़ाई, फिर मैं
बनूँ बड़ा एक अफसर,
मेरी मदद करो तो चुनमुन
पढ़ लूँ मैं भी अक्षर।
चुनमुन बोला बात ठीक है
चलना तुम स्कूल,
पाठ पढ़ाऊँगा मैं अप्पू
यदि जाओगे भूल।
नई किताबें, बस्ता लेकर
अप्पू पढऩे जाएगा,
चुनमुन का है पक्का वादा
पूरा साथ निभाएगा।