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जेकब की सीढ़ी / लुईज़ा ग्लुक / लीलाधर मंडलोई

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धरती के छल-छन्द में फँसे हुए
क्या तुम नहीं जाना चाहते स्वर्ग

मैं एक स्त्री के बागीचे में रहता हूँ
मुझे माफ़ करें, मोहतरमा !
लालसा ने मेरी चारुता छीन ली
मैं वह नहीं हूं जिसे तुमने चाहा

लेकिन सभी स्त्री और पुरुष
एक-दूसरे की कामना में जीते हैं
मैं भी स्वर्ग के ज्ञान की इच्छा रखता हूँ

अब तुम्हारा दुख,
एक नंगी शाखा
जैसे अहाते की खिड़की तक पहुँच रही है
और अन्त में, क्या ?

तारे की तरह एक सुन्दर नीला फूल
इस दुनिया को कभी नहीं त्यागता !

क्या यही तुम्हारे
आँसुओं का अर्थ नहीं है ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : लीलाधर मंडलोई