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मौत आएगी मौत जाएगी / अदनान कफ़ील दरवेश

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मौत आएगी मौत जाएगी
ज़िन्दगी सब्र आज़माएगी

ख़ाबे-अतफ़ाल जागते हैं मिरे
रात कुछ देर थपथपाएगी
 
उँगलियाँ शाम से लहू कर लीं
कोई तस्वीर बन ही जाएगी

दर भी ठण्डे हुए हैं दिल की तरह
कोई दस्तक भी आने पाएगी

शाम को रक़्स है उदासी का
ये उदासी ही धुन बनाएगी

साँस थम-थम के दे रही है सदा
ऐन मुमकिन है वो न आएगी

ज़िन्दगी भर उदासियों की ग़िज़ा
जो बचा क़ब्र जिस्म खाएगी

हश्र के रोज़ बारगाहे-ख़ुदा
लाई क्या रूह जान जाएगी

ख़ूब पी ली है आपने दरवेश
अब ये आवाज़ क्या सुनाएगी ।