भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जंगल और राजा / / प्रफुल्ल कुमार परवेज़

Kavita Kosh से
द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 07:59, 3 अक्टूबर 2008 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


जंगल तब तक
जंगल ही रहता है
जब तक राजा रहता है


जंगल में मंगल
तब होता है
जब राजा नहीं रहता