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नौकर और बच्चे:तीन / प्रफुल्ल कुमार परवेज़
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इधर चिंतित हैं मम्मी
चिंतित हैं पापा
दोनों की चिंता में है
बच्चे की नींद
बच्चे की नींद में है
अगली सुबह का
तरो—ताज़ा दिमाग़
तरो-ताज़ा दिमाग़ में है
अगले पाठ की समझ
पाठ की समझ में है
सुनहरा भविष्य
पर बच्चा है
कि सोता नहीं
दुलारते हैं पापा
दुलारती है मम्मी
पर बच्चा है कि सोता ही नहीं
उधर
दिन भर खटे नौकर की
थकी—माँदी आवाज़ है—
सो जाऊँ बीबी जी
नौकर की आवाज़ में है
आज की पुनरावृति.