कब तक यह आँखमिचौनी?
कब तक ताकूँ राह तिमिर में, इकटक, बनकर मौनी, रे?
किस खेती पर आशा बाँधूँ, नाधूँ मन की दौनी, रे?
दाना एक नहीं गिर पाता, यह भी कौन उसौनी, रे!
चाँद पकड़ने चली बावली, यह अवनी की बौनी, रे!
शशिधर! तुम्हीं मिलो तो माने, यह नागिन की छौनी रे!