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प्रार्थना / प्रदीप शुक्ल

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बन्द हुआ विद्यालय
घण्टी टन टन टन्नाई
और तभी दरवाज़े से
छुट्टी अन्दर आई
बोली, टीचर जी
मुझको हैं इतने सारे काम

सुबह धूप से बात करूँगी
दोपहर में लूडो खेलूँगी
और शाम को कहीं लॉन में
तितली के पीछे दौड़ूँगी
सभी तितलियों का रक्खूँगी
एक-एक का नाम

होमवर्क चाहें तो सारा
अपने घर ले जाएँ
यही प्रार्थना है
इससे अब मेरी जान बचाएँ