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दीवाली में अम्मा की याद / प्रदीप शुक्ल
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दीवाली में
रौशन घर का
कोना कोना था
दीवाली में खुशियाँ थीं
अम्मा का होना था
साफ़-सफ़ाई में
माँ की
सन्दूक निकलती थी
चिट्पुटिया वाली उसमें
बन्दूक निकलती थी
नानी द्वारा दिया हुआ
आखिरी खिलौना था
झौआ भर
दीये मिट्टी के
आँगन में आएँ
दीपमालिका
डेहरी, मुण्डेरों पर लहराएँ
यही हमारी दीवाली का
चांदी-सोना था
खील-बताशे
खुटिया,
शक्कर के हाथी घोड़े
उन गलियों में सुधियों का
हिरना जब-तब दौड़े
इस दीवाली में हमको
अम्मा को खोना था
( 2020 )