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बस तेरी कृपा भरोसे / रामगोपाल 'रुद्र'
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बस तेरी कृपा भरोसे तेरे द्वारे पड़ा रहूँ,
लग जाय पार इतना ही तो हो जाए बेड़ा पार!
पर यह भी कहाँ देख सह पाती है तेरी महरी,
घर पर आते ही मुझे भगा देती है फिर बाज़ार!