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जय गंगे जय तारनितरनि / जुगलप्रिया
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जय गंगे जय तारनितरनि।
भवर तरंग उमंगति लहरी मंगलरेनु बिमल बुद्धि करनि॥
पुलिन प्रतीत मंद मारुत बह निर्मल धार धवल छवि धरनि।
जेते जंतु जीव जल थल नभ सब की तीन ताप तम हरनि॥
हरि चरनारविंद ते प्रगटी ब्रह्म कमंडल सिर आभरनि।
शंकर सीस सौत गिरिजा की भागीरथ रथ की अनुचरनि॥
गिरिवर नगर ग्रामवल वेधित प्रबल बारिधि बट वरनि।
दरस परस मज्जन सुपानते दूर होय दुख दारिद दरनि॥
सुलभ त्रिवर्ग स्वर्ग अपवर्गहु कामधेनु सुख सफल वितरनि।
जय श्रीसुरसम हरि रति दीजै जुगल प्रिया की असरन सरनि॥