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भजन (दो) / महमूद दरवेश / विनोद दास

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मुझे लगता है कि मैं सूख गया हूँ
जैसे किताबों से बाहर उगते हैं दरख़्त
हवा एक महज़ गुजरती हुई शै है
मुझे लड़ना होगा या नहीं
सवाल यह नहीं है
ज़रूरी है कि गला ताक़तवर हो
काम करूँ या ना करूँ
ज़रूरी है सप्ताह में आठ दिन आराम
फिलिस्तीनी समय
मेरा मुल्क शोकगीतों और क़त्लेआम में बदल रहा है
मुझे बताओ किस चीज़ से मारा गया था
क्या यह चाक़ू था या झूठ
मेरे मुल्क शोकगीतों और क़त्लेआम में बदल रहा है
एक हवाईअड्डे से दूसरे हवाईअड्डे तक
मैं तुम्हें छिपाकर क्यों ले जाऊँ
अफ़ीम की तरह
अदृश्य स्याही की तरह
रेडियो ट्राँसमीटर की तरह

मैं तुम्हारा शक़्लो सूरत बनाना चाहता हूँ
मगर तुम फ़ाइलों में छितरे हो और चौंकाते हो
मैं तुम्हारा नाक़-नक़्श बनाना चाहता हूँ
मगर तुम बम के टुकड़ों और परिन्दों के परों पर उड़ते हो
मैं तुम्हारा शक़्लो सूरत बनाना चाहता हूँ
लेकिन ऊपरवाला मेरा हाथ छीन लेता है
मैं तुम्हारा नाक़-नक़्श बनाना चाहता हूँ
मगर तुम चाक़ू और हवा के बीच में फँसे हुए हो
तुममें अपना शक़्लो सूरत खोजने के लिए
अमूर्त होने का कसूरवार बनने के लिए
नक़ली दस्तावेज़ और फ़ोटो बनाने के लिए
मैं तुम्हारा चेहरा बनाना चाहता हूँ
मगर तुम चाक़ू और हवा के बीच फँसे हुए हो

मेरा मुल्क शोकगीतों और क़त्लेआम में बदल रहा है
मेरा रोमाँच छीनकर और मुझे पत्थर की तरह छोड़कर
तुम कैसे हो सकते हो मेरा सपना
शायद तुम सपने से भी ज़्यादा मीठे हो
शायद उससे भी कुछ ज़्यादा मीठे

अरब की तारीख़ में एक भी ऐसा शख़्स नहीं है
जिससे मैंने तुम्हारी चोर खिड़की से घुस आने के लिए
मदद न माँगी हो
सभी कूटनाम
वातानुकूलित भर्ती दफ़्तरों में रखे जाते हैं
क्या आपको मेरा नाम मंजूर है
मेरा सिर्फ़ एक ही कूटनाम है
महमूद दरवेश
पुलिस और फिलिस्तीनी पादरी की सज़ा से
पीट-पीट कर उधेड़ दी गई है
मेरे असली नाम की चमड़ी
मेरा मुल्क शोकगीतों और क़त्लेआम में बदल रहा है
 
मुझे बताओ किस चीज़ से मारा गया
क्या यह चाक़ू था या झूठ

अँग्रेज़ी से अनुवाद : विनोद दास