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पीड़ित नम्बर 48 / महमूद दरवेश / विनोद दास

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वह एक पत्थर पर मरा लेटा था
उन्हें उसकी छाती में चाँद और गुलाबों से सजी लालटेन मिली
उन्हें उनकी जेबों में कुछ सिक्के मिले
मिली माचिस की एक डिबिया और सफ़र का परवाना
उसके हाथों पर गुदा हुआ था गोदना

उसकी माँ ने उसे चूमा
और एक साल तक रोती-बिलखती रही
उसकी आँखों में उलझन के काँटे झलकते रहे
और वहाँ अन्धेरा बना रहा

उसका भाई जब बड़ा हुआ
और क़स्बे में काम की तलाश में गया
उसे जेल में डाल दिया गया
चूँकि उसके पास सफ़र करने का परवाना नहीं था
वह एक कचरा पेटी और कुछ बक्से
नीचे सड़क पर ले जा रहा था

मेरे मुल्क के बच्चो !
इस तरह उस चाँद की मौत हुई

अँग्रेज़ी से अनुवाद : विनोद दास