प्रीतम हमारो प्यारो श्याम गिरिधारी है।
मोहन अनाथनाथ संतन के डोलै साथ,
वेद गुन गावैं गाथ गोकुल बिहारी हैं।
कमल विशाल नैन निपट रसीले बैन,
दीनन को सुख दैन चारिभुजा धारी हैं।
केशव कृपानिधान वाही सो हमारो ध्यान,
तन मन बारूँ प्रान जीवन मुरारी हैं।
सुमिरूँ मैं साँझ-भोर बार-बार हाथ जोर,
कहत प्रताप भौंर जाम की दुलारी हैं।