भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

लगन थारी लागी चतुरभुज राम / प्रतापबाला

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:56, 28 नवम्बर 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रतापबाला |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatP...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

लगन थारी लागी चतुरभुज राम।
श्याम सनेही जीवन ये ही औरन से क्या काम।
नैन निहारूँ पल न बिसारूँ सुमिरूँ निसिदिन श्याम॥
हरि सुमिरन तें सब दुख जावे मन पावे बिसराम।
तन-मन-धन न्योछावर कीजै कहत दुलारी जाम॥