डर है उसको किसके बल का प्रभु जो तुम्हरे सरनागत हैं।
अब दीन दयाल न देर लगे बिगरी सब आप सुधारत हैं॥
बल वाह 'रमा' कब कौन कहाँ तुम्हरे बिन नाथ उबारत हैं।
उसको डर क्या भवसागर को जिसको करुणानिधि तारत हैं॥
डर है उसको किसके बल का प्रभु जो तुम्हरे सरनागत हैं।
अब दीन दयाल न देर लगे बिगरी सब आप सुधारत हैं॥
बल वाह 'रमा' कब कौन कहाँ तुम्हरे बिन नाथ उबारत हैं।
उसको डर क्या भवसागर को जिसको करुणानिधि तारत हैं॥