भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तब छोटी चीज़ें भी बड़ी लगतीं / रमेश पाण्डेय
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:54, 6 अक्टूबर 2008 का अवतरण
द फ़ाल आफ़ ए स्पैरो यानि विलुप्त होती हुई गौरैया के बारे में कुछ नोट्स
1.
तब छोटी चीज़ें भी बड़ी लगतीं
कई छोटे आकार की बड़ी चीज़ें अपने बड़ेपन को
जाहिर होने से छु्पातीं
हम समझते चिड़िया शब्द का अर्थ गौरैया होता है
कौवे चिड़िया नहीं होते
कौवे चिड़िया से इतर होते हैं
(’द फ़ाल आफ़ ए स्पैरो’ प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी डा. सालिम अली की आत्मकथा का शीर्षक है