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लोकतन्त्र / लैंग्स्टन ह्यूज़

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आपका लोकतन्त्र नहीं आएगा अभी
या इस वर्ष, या कभी भी
समझौते या भय से

मुझे भी अधिकार है उतना ही
जितना कि किसी दूसरे को है
अपने पैरों पर खड़े होने का
और ज़मीन का मालिक बनने का

मैं थक गया हूँ
लोगों से यह सुनते-सुनते
कि समय पर सब हो जाएगा
कल का दिन एक और दिन हो जाएगा
मुझे मरने के बाद आज़ादी नहीं चाहिए
कल की रोटी पर मैं जी नहीं सकता

बड़ा पुष्ट होता है आज़ादी का बीज़
ज़रूरत के वक़्त बोया गया हो तब
मैं भी यहीं रहता हूँ
मुझे भी आज़ादी चाहिए तुम्हारी तरह


मूल अंग्रेज़ी से अनुवाद : राम कृष्ण पाण्डेय
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यहाँ क्लिक गरेर यस कविताको नेपाली अनुवाद पढ्न सकिन्छ