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जब भाई को बिठाया था / रमेश पाण्डेय

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द फ़ाल आफ़ ए स्पैरो यानि विलुप्त होती हुई गौरैया के बारे में कुछ नोट्स


5.


जब भाई को बिठाया था

पठानकोट की गाड़ी में

डिब्बे की छत पर

बैठी रही एक गुमसुम चिड़िया


असवारी में बहन बिदा हुई

इस पेड़ से उस पेड़ रोते हुए उसे छोड़ने गई

एक चिड़िया सीवान तक


चिड़िया अब तक

घर वापिस नहीं लौटी है


सात बरस तीन महीने बीत गए हैं


(’द फ़ाल आफ़ ए स्पैरो’ प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी डा. सालिम अली की आत्मकथा का शीर्षक है