भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
इश्क़ मोहब्बत का अफ़साना रोज़ नया / राज़िक़ अंसारी
Kavita Kosh से
द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 05:24, 18 दिसम्बर 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राज़िक़ अंसारी }} {{KKCatGhazal}} <poem> इश्क़ म...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
इश्क़ मोहब्बत का अफ़साना रोज़ नया
दश्त में आता है दीवाना रोज़ नया
रोज़ पुराना दोस्त कोई मिल जाता है
हो जाता है ज़ख्म पुराना , रोज़ नया
यकजहती पर हमला करने वालों को
मिल जाता है कोई निशाना रोज़ नया
रोज़ समझना पड़ता है इस दुनिया को
दिखलाता है रंग ज़माना , रोज़ नया
रोज़ मैं अपने दिल को समझा लेता हूँ
मिल जाता है एक बहाना रोज़ नया