भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अफ़वाह / अनामिका अनु

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:41, 19 दिसम्बर 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनामिका अनु |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अफ़वाह है कि
एक बकरी है
जो चीर देती है सींग से अपनी
छाती शेर की ।
 
खरगोश बिल में दुबका है,
बाघ मान्द में डर से,
लोमड़ी और गीदड़ नहीं बोल
रहे हैं कुछ भी ।
  
पर एक जोंक है
बिना दाँत, हड्डी के भी रीढ़ वाली
वह चूस आई है सब ख़ून बकरी का ।
  
कराहती बकरी कह रही है —
“अफ़वाह की उम्र होती है,
सच्चाई ने मौत नहीं देखी है
क्योंकि यह न घटती है, न बढ़ती है।“