भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चलो, नहीं करना मुझे फ़ोन / ब्रज श्रीवास्तव

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:30, 27 दिसम्बर 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ब्रज श्रीवास्तव |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चलो, नहीं करना मुझे फ़ोन
ज़रूरी भी नहीं है देना औपचारिक-सी शुभकामनाएँ

जब यादों में कौंध ही जाऊँ मैं
तो बस इतना कर देना
एक क्षण को भला सोचना मेरे लिए

मुझे यहाँ एक तरंग मिल जाएगी
मैं भी छोड़ दूंगा एक तरंग इसी तरह।

हो जाएगा त्यौहार