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जियो और जीने दो / शीतल साहू

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है हम, आप सबके अनुचर
ना अनुभवी, ना विधि के जानकार
दिखते है, सब बंद रास्ते और सर्वत्र अन्धकार
किस राह जाये कि जीवन हो सबके साकार।
राह दिखाये, मार्ग बताए
चले हम सब, उस पर फिर बढ़कर।

सत्य है, ना हो हठधर्मिता ना हो अहंकार
ना हो प्रपंच, ना हो अत्याचार
ना हो दिखावा, ना हो पापाचार
ना हो चालाकी, ना हो भ्रष्टाचार

ना हो कर्त्तव्यविमुख, ना हो इनकार
ना हो अवज्ञा, ना हो विघ्नाचार
ना हो चाटुकारिता, बने सब जिम्मेदार
और सब मिल पहुचायें, इस मंदिर को फिर उच्च शिखर पर।

आओ मिल सब बनाये, एक ऐसा परिवार
मिले जहाँ सबको आश्रय और सबको प्यार
साथ चले साथ बढ़े, लेकर सभी सपने हजार
"जियो और जीने दो" की कथन, हो फिर साकार।