भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अलाव / अनिता मंडा

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:19, 13 जनवरी 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनिता मंडा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जब भी तुम उदास हुए
तुम्हें हंसने को
एक झूठा सच्चा बहाना खोजा मैंने
न माने कोई इसे
बड़ा आविष्कार तो क्या
बहुत बार जग सुंदर बन गया
इसी बहाने से.