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प्रीत के पाँव / सुरंगमा यादव
Kavita Kosh से
67
मेघ कहार
दूर देश से लाया
वर्षा बहार।
68
नित नवीन
प्रकृति की सुषमा
नहीं उपमा।
69
आँचल हरा
ढूँढ़ती वसुंधरा
कहीं खो गया।
70
थक के सोया
दिवस शिशु सम
साँझ होते ही ।
71
मौन हो गये
ये विहग वाचाल
निशीथ काल।
77
प्रीत के पाँव
बिन पायल बाजें
सुनता गाँव